Maa Poem in Hindi
Maa Poem in Hindi– माँ, जीवन की अनमोल रत्न, वो पवित्र बंधन जो हमें सच्ची ममता का अहसास कराता है। इस कविता में, मैंने माँ के प्रति अपनी भावनाओं को शब्दों में ढलने का प्रयास किया है। माँ के स्नेह, समर्पण, और ममता को सलामी अर्पित करते हुए, यह कविता माँ के उच्च स्तर की महत्ता को बयान करती है। आप इस कविता के माध्यम से माँ के साथ जुड़े अनवरत संबंधों का आनंद लेंगे और उनकी महिमा को समझेंगे। आइए, साथ में माँ के प्रति आभारी हों और उनके साथ बिताए गए पलों की महत्वपूर्णता को समझें।

बाजुओं में खींच के आ जायेगी जैसे क़ायनात
अपने बच्चे के लिए ऐसे बाहें फैलाती है माँ
ज़िन्दगी के सफ़र मै गर्दिशों में धुप में
जब कोई साया नहीं मिलता तब बहुत याद आती है माँ
प्यार कहते हैं किसे, और ममता क्या चीज़ है,
कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी मर जाती है माँ
सफा-ए- हस्ती पे लिखती है, असूल-ए- ज़िन्दगी,
इसलिए तो मक़सद-ए- इस्लाम कहलाती है माँ
जब ज़िगर परदेस जाता है ए नूर-ए- नज़र,
कुरान लेकर सर पे आ जाती है माँ
लेके ज़मानत में रज़ा-ए- पाक की,
पीछे पीछे सर झुकाए दूर तक जाती है माँ
काँपती आवाज़ में कहती है बेटा अलविदा
सामने जब तक रहे हाथों को लहराती है माँ
जब परेशानी में फँस जाते हैं हम परदेस में,
आंसुओं को पोंछने ख्वाबों में आ जाती है माँ
मरते दम तक आ सका न बच्चा घर परदेस से,
अपनी सारी दुआएं चौखट पे छोड़ जाती है माँ
बाद मरने के बेटे की खिदमत के लिए,
रूप बेटी का बदल के घर में आ जाती है माँ
Maa Ke Upar Kavita
साल के बाद
आया है यह दिन
करने लगे हैं सब याद
पल छिन
तुम ना भूली एक भी चोट या खुशी
ना तुमने भुलाया
मेरा कोई जन्म दिन
और मैं
जो तुम्हारी परछाई हूँ
वक्त की चाल-
रोज़गार की ढाल
सब बना लिए मैंने औज़ार
पर माँ!
नासमझ जान कर
माफ़ करना
करती हूँ तुमको प्यार
मैं हर पल
खामोशी तनहाई में
अर्पण किए
मैंने अपनी श्रद्धा के फूल तुमको
जानती हूँ
मिले हैं वो तुमको
क्योंकि
देखी है मैंने तुम्हारी निगाह
प्यार गौरव से भरी मुझ पर
जब भी मैं तुम्हारे बताए
उसूलों पर चलती हूँ चुपचाप
माँ!
मुझमें इतनी शक्ति भर देना
गौरव से सर उठा रहे तुम्हारा
कर जाऊँ ऐसा कुछ जीवन में
बन जाऊँ
हर माँ की आँख का सितारा
आज मदर्स डे के दिन
“अर्चना” कर रही हूँ मैं तुम्हारी
श्रद्धा, गौरव और विश्वास के चंद फूल लिए
अर्चना हरित
Mother Poem in Hindi
मेरी ही यादों में खोई
अक्सर तुम पागल होती हो
माँ तुम गंगा-जल होती हो!
जीवन भर दुःख के पहाड़ पर
तुम पीती आँसू के सागर
फिर भी महकाती फूलों-सा
मन का सूना संवत्सर
जब-जब हम लय गति से भटकें
तब-तब तुम मादल होती हो।
व्रत, उत्सव, मेले की गणना
कभी न तुम भूला करती हो
सम्बन्धों की डोर पकड कर
आजीवन झूला करती हो
तुम कार्तिक की धुली चाँदनी से
ज्यादा निर्मल होती हो।
पल-पल जगती-सी आँखों में
मेरी ख़ातिर स्वप्न सजाती
अपनी उमर हमें देने को
मंदिर में घंटियाँ बजाती
जब-जब ये आँखें धुंधलाती
तब-तब तुम काजल होती हो।
हम तो नहीं भगीरथ जैसे
कैसे सिर से कर्ज उतारें
तुम तो ख़ुद ही गंगाजल हो
तुमको हम किस जल से तारें
तुझ पर फूल चढ़ाएँ कैसे
तुम तो स्वयं कमल होती हो।
जयकृष्ण राय तुषार
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Hindi poem on Maa
हर शै से ऊपर जग मे माँ होती है,
एक अक्षर मे छुपी पूरी दुनिया होती है।
जितने लाडों से पालती है माँ बच्चो को,
बच्चों की नजर मे उतनी कद्र कहाँ होती है।।
हर दुःख को अपने आँचल मे छुपाती,
खुद भूखी रहकर भी बच्चों को खिलाती।
गुणों के भंडारों से तर बतर होती है हर माँ
कभी ना अपने बच्चों को कुछ बुरा सिखाती।।
धरती पर माँ ही भगवान की पहचान होती है,
उसके बच्चों मे छुपी उसकी जान होती है।
कुछ देर जरुर बैठा करो अपनी माँ के पास,
माँ सिर्फ माँ नहीं माँ तो तजुर्बो की खान होती है।।
हर आफत हर परेशानी खुद दूर होती है,
माँ ही जमीं पर जन्नत से बहता नूर होती है।
गलती से भी कभी कोई गलती न करती वो,
वो तो बस कभी कभी बच्चों की जिद के आगे मजबूर होती है।।
सिर्फ एक माँ है जो कभी न नाराज होती है,
मूक बच्चे की माँ ही हमेशा आवाज होती है।
कोई भी सम्मान बड़ा नहीं होता माँ की सेवा के आगे
अरे लोगों सुखी माँ ही धरती पर सबसे बड़ा ताज होती है।।
लोगों चाहे मत संभालो अपनी जां को,
पर सम्भालों जरुर अपनी प्यारी माँ को।
हर काम मे खुद ब खुद हो जायेगी बरकत,
कभी हल्के मे मत लेना उसकी दुआ को।।
नीरज रतन बंसल ‘पत्थर’
Inspirational Poem on Mother in Hindi
बचपन में अच्छी लगे यौवन में नादान।
आती याद उम्र ढ़ले क्या थी माँ कल्यान।।१।।
करना माँ को खुश अगर कहते लोग तमाम।
रौशन अपने काम से करो पिता का नाम।।२।।
विद्या पाई आपने बने महा विद्वान।
माता पहली गुरु है सबकी ही कल्यान।।३।।
कैसे बचपन कट गया बिन चिंता कल्यान।
पर्दे पीछे माँ रही बन मेरा भगवान।।४।।
माता देती सपन है बच्चों को कल्यान।
उनको करता पूर्ण जो बनता वही महान।।५।।
बच्चे से पूछो जरा सबसे अच्छा कौन।
उंगली उठे उधर जिधर माँ बैठी हो मौन।।६।।
माँ कर देती माफ़ है कितने करो गुनाह।
अपने बच्चों के लिए उसका प्रेम अथाह।।७।।
सरदार कल्याण सिंह
Poem about Mother in Hindi
गहन अंधेरों को उजालों में बदलती है
औलाद के हर दुःख को पल में छलती है
मजबूर हो जाते है देव भी उसकी ममता के आगे
खुदा से ज्यादा धरती पर माँ की चलती है
फैला रूह में हर वक्त उजाला होता है
माँ का प्यार तो अमृत का प्याला होता है
सोचते ही हर दुआ खुद पूरी हो जाती है
माँ का रूप ही सबसे बड़ा शिवाला होता है
माँ ही फरिश्ता माँ ही पैगम्बर होती है
माँ दिखती है बाहर पर रूह के अंदर होती है
कोई श्रृंगार बड़ा नही माँ की मुस्कान के आगे
धरती पर माँ ही सबसे ज्यादा सुंदर होती है
निरंतर जो बहती माँ तो वो अदभुत नदी है
आजकल की बात छोड़ो माँ तो एक सदी है
हर शै छोटी होती है माँ के आकार के आगे
माँ सारे जहानो को मिलाकर भी बड़ी होती है
माँ से ही औलाद की औकात होती है
माँ ही धर्म माँ कर्म माँ ही जात होती है
माँ के रहते चाहे मत ध्यान करों किसी देव का
माँ के रूप में हर रोज देवों से मुलाकात होती है
जो काट देती दर्दों को माँ वो दुआ होती है
माँ अथाह सागर माँ प्रेम का कुआँ होती है
चाहे कितनी मर्जी देती हो माँ औलाद को गालियाँ
पर कभी ना माँ के लबों पर बददुआ होती है
नीरज रतन बंसल ‘पत्थर’
Maa Kavita in Hindi- लब्बो पर उसके कभी बदुआ नहीं होती
लब्बो पर उसके कभी बदुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो कभी खफा नहीं होती
इस तरह वो मेरे गुन्हो को धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो बस रो देती है
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आंसु
मुदतो माँ ने नहीं धोया दुपटा अपना
अभी जिन्दा है मेरी माँ मुझे कुछ नहीं होगा
मै जब घर से निकलता हूँ तो दुआ भी साथ चलती है मेरे
जब भी कश्ती मेरी शेलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई खुआब में आ जाती है
ए अँधेरे देख ले तेरा मुंह कला हो गया
माँ ने आंखे खोल दी और घर में उजाला हो गया
मेरी खुआइश है की मै फिर से फ़रिश्ता हो जाऊ
माँ से इस तरह लिपटू की फिर से बच्चा हो जाऊ
माँ के यूँ कभी खुलकर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद होती है वहा इतनी नमी अच्छी नहीं होती
बचपन में माँ कहती थीं- Maa Kavita in Hindi
बचपन में माँ कहती थीं
बिल्ली रास्ता काटे,
तो बुरा होता है
रुक जाना चाहिए…
बचपन में माँ कहती थीं
बिल्ली रास्ता काटे,
तो बुरा होता है
रुक जाना चाहिए…
मैं आज भी रुक जाता हूँ
कोई बात है जो डरा
देती है मुझे..
यकीन मानो,
मैं पुराने ख्याल वाला हूँ नहीं …
मैं शगुन-अपशगुन को भी नहीं मानता…
मैं माँ को मानता हूँ…
मैं माँ को मानता हूँ….
दही खाने की आदत मेरी
गयी नहीं आज तक..
दही खाने की आदत मेरी
गयी नहीं आज तक..
माँ कहती थीं…
घर से दही खाकर निकल
तो शुभ होता है..
मैं आज भी हर सुबह दही
खाकर निकलता हूँ…
मैं शगुन-अपशगुन को भी नही मानता…
मैं माँ को मानता हूँ…
मैं माँ को मानता हूँ….
आज भी मैं अँधेरा देखकर डर जाता हूँ,
भूत-प्रेत के किस्से खोफ पैदा करते हैं मुझमें,
जादू , टोने, टोटके पर मैं यकीन कर लेता हूँ…
बचपन में माँ कहती थी
कुछ होते हैं बुरी नज़र लगाने वाले,
कुछ होते हैं खुशियों में सताने वाले…
यकीन मानों, मैं पुराने ख्याल वाला नहीं हूँ…
मैं शगुन-अपशगुन को भी नहीं मानता….
मैं माँ को मानता हूँ….
मैं माँ को मानता हूँ…
मैंने भगवान को भी नहीं देखा जमीन पर
मैंने अल्लाह को भी नहीं देखा
लोग कहते है,
नास्तिक हूँ मैं
मैं किसी भगवान को नहीं मानता
लेकिन माँ को मानता हूँ…
में माँ को मानता हूँ….||
Maa Kavita in Hindi – कभी जो गुस्से में आकर मुझे डांट देती
कभी जो गुस्से में आकर मुझे डांट देती
जो रोने लगूं में मुझे वो चुपाती
जो में रूठ जाऊं मुझे वो मनाती,
मेरे कपड़े वो धोती मेरा खाना बनाती
जो न खाऊं में मुझे अपने हाथों से खिलाती
जो सोने चलूँ में मुझे लोरी सुनाती,
वो सबको रुलाती वो सबको हंसाती
वो दुआओं से अपनी बिगड़ी किस्मत बनाती
वो बदले में किसी से कभी कुछ न चाहती,
जब बुज़ुर्गी में उसके दिन ढलने लगते
हम खुदगर्ज़ चेहरा अपना बदलने लगते
ऐश-ओ-इशरत में अपनी उसको भूलने लगते
दिल से उसके फिर भी सदा दुआएं निकलती
खुशनसीब हैं वो लोग जिनके पास माँ है।
ओ मेरी प्यारी माँ– Maa Kavita in Hindi
ओ मेरी प्यारी माँ,
सारे जग से न्यारी माँ.
मेरी माँ प्यारी माँ,
सुन लो मेरी वाणी माँ.
तुमने मुझको जन्म दिया,
मुझ पर इतना उपकार किया.
धन्य हुई मैं मेरी माँ,
ओ मेरी प्यारी माँ.
अच्छे बुरे में फर्क बताया,
तुमने अपना कर्तव्य निभाया.
अच्छी बेटी बनूंगी माँ,
ओ मेरी प्यारी माँ.
करूंगी तेरा मैं गुणगान,
करूंगी तेरा मैं सम्मान.
शब्द भी पड़ गए थोड़े तेरे गुणगान के लिए माँ,
ओ मेरी प्यारी माँ.
Maa Kavita in Hindi– मेरी आंखों का तारा ही
मेरी आंखों का तारा ही, मुझे आंखें दिखाता है.
जिसे हर एक खुशी दे दी, वो हर गम से मिलाता है.
जुबा से कुछ कहूं कैसे कहूं किससे कहूं माँ हूं
सिखाया बोलना जिसको, वो चुप रहना सिखाता है.
सुला कर सोती थी जिसको वह अब सभर जगाता है.
सुनाई लोरिया जिसको, वो अब ताने सुनाता है.
सिखाने में क्या कमी रही मैं यह सोचूं,
जिसे गिनती सिखाई गलतियां मेरी गिनाता है.
8 हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है
हम कुंठित हैं तो वह एक अभिलाषा है
बस यही माँ की परिभाषा है.
हम समुंदर का है तेज तो वह झरनों का निर्मल स्वर है
हम एक शूल है तो वह सहस्त्र ढाल प्रखर
हम दुनिया के हैं अंग, वह उसकी अनुक्रमणिका है
हम पत्थर की हैं संग वह कंचन की कृनीका है
हम बकवास हैं वह भाषण हैं हम सरकार हैं वह शासन हैं
हम लव कुश है वह सीता है, हम छंद हैं वह कविता है.
हम राजा हैं वह राज है, हम मस्तक हैं वह ताज है
वही सरस्वती का उद्गम है रणचंडी और नासा है.
हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है.
बस यही माँ की परिभाषा है.
Shailesh Lodha
बहुत याद आती है माँ— Maa Kavita in Hindi
बहुत याद आती है माँ
जब भी होती थी मैं परेशान
रात रात भर जग कर
तुम्हारा ये कहना कि
कुछ नहीं… सब ठीक हो जाएगा ।
याद आता है…. मेरे सफल होने पर
तेरा दौड़ कर खुशी से गले लगाना ।
याद आता है, माँ तेरा शिक्षक बनकर
नई-नई बातें सिखाना
अपना अनोखा ज्ञान देना ।
याद आता है माँ
कभी दोस्त बन कर
हँसी मजाक कर
मेरी खामोशी को समझ लेना ।
याद आता है माँ
कभी गुस्से से डाँट कर
चुपके से पुकारना
फिर सिर पर अपना
स्नेह भरा हाथ फेरना ।
याद आता है माँ
बहुत अकेली हूँ
दुनिया की भीड़ में
फिर से अपना
ममता का साया दे दो माँ
तुम्हारा स्नेह भरा प्रेम
बहुत याद आता है माँ
अंजू गोयल
Maa Kavita in Hindi— माँ तुम्हारा स्नेहपूर्ण स्पर्श
माँ तुम्हारा स्नेहपूर्ण स्पर्श
अब भी सहलाता है मेरे माथे को
तुम्हारी करुणा से भरी आँखें
अब भी झुकती हैं मेरे चेहरे पर
जीवन की खूंटी पर
उदासी का थैला टाँगते
अब भी कानों में पड़ता है
तुम्हारा स्वर
कितना थक गई हो बेटी
और तुम्हारे निर्बल हाथों को मैं
महसूस करती हूँ अपनी पीठ पर
माँ
क्या तुम अब सचमुच नहीं हो
नहीं,
मेरी आस्था, मेरा विश्वास, मेरी आशा
सब यह कहते हैं कि माँ तुम हौ
मेरी आँखों के दिपते उजास में
मेरे कंठ के माधुर्य में
चूल्हे की गुनगुनी भोर में
दरवाज़े की सांकल में
मीरा और सूर के पदों में
मानस की चौपाई में
माँ
मेरे चारों ओर घूमती यह धरती
तुम्हारा ही तो विस्तार है।
शीला मिश्रा
जन्म दात्री– Maa Kavita in Hindi
जन्म दात्री
ममता की पवित्र मूर्ति
रक्त कणो से अभिसिंचित कर
नव पुष्प खिलाती
स्नेह निर्झर झरता
माँ की मृदु लोरी से
हर पल अंक से चिपटाए
उर्जा भरती प्राणो में
विकसित होती पंखुडिया
ममता की छावो में
सब कुछ न्यौछावर
उस ममता की वेदी पर
जिसके
आँचल की साया में
हर सुख का सागर!
बृजेशकुमार शुक्ला
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Maa Kavita in Hindi– अंधियारी रातों में मुझको
अंधियारी रातों में मुझको
थपकी देकर कभी सुलाती
कभी प्यार से मुझे चूमती
कभी डाँटकर पास बुलाती
कभी आँख के आँसू मेरे
आँचल से पोंछा करती वो
सपनों के झूलों में अक्सर
धीरे-धीरे मुझे झुलाती
सब दुनिया से रूठ रपटकर
जब मैं बेमन से सो जाता
हौले से वो चादर खींचे
अपने सीने मुझे लगाती
अमित कुलश्रेष्ठ
चूल्हे की- Maa Kavita in Hindi
चूल्हे की
जलती रोटी सी
तेज आँच में जलती माँ !
भीतर -भीतर
बलके फिर भी
बाहर नहीं उबलती माँ !
धागे -धागे
यादें बुनती ,
खुद को
नई रुई सा धुनती ,
दिन भर
तनी ताँत सी बजती
घर -आँगन में चलती माँ !
सिर पर
रखे हुए पूरा घर
अपनी –
भूख -प्यास से ऊपर ,
घर को
नया जन्म देने में
धीरे -धीरे गलती माँ !
फटी -पुरानी
मैली धोती ,
साँस -साँस में
खुशबू बोती ,
धूप -छाँह में
बनी एक सी
चेहरा नहीं बदलती माँ !
कौशलेन्द्र
Maa Kavita in Hindi- चिंतन दर्शन जीवन सर्जन
चिंतन दर्शन जीवन सर्जन
रूह नज़र पर छाई अम्मा
सारे घर का शोर शराबा
सूनापन तनहाई अम्मा
उसने खुद़ को खोकर मुझमें
एक नया आकार लिया है,
धरती अंबर आग हवा जल
जैसी ही सच्चाई अम्मा
सारे रिश्ते- जेठ दुपहरी
गर्म हवा आतिश अंगारे
झरना दरिया झील समंदर
भीनी-सी पुरवाई अम्मा
घर में झीने रिश्ते मैंने
लाखों बार उधड़ते देखे
चुपके चुपके कर देती थी
जाने कब तुरपाई अम्मा
बाबू जी गुज़रे, आपस में-
सब चीज़ें तक़सीम हुई तब-
मैं घर में सबसे छोटा था
मेरे हिस्से आई अम्मा
आलोक श्रीवास्तव
Maa Kavita in Hindi – सड़क के हर एक मोड़ पर वही तस्वीर मिल जाती है मुझे
सड़क के हर एक मोड़ पर वही तस्वीर मिल जाती है मुझे!
किसी बूढ़ी औरत को देख कर, माँ बहुत याद आती है मुझे!!
इन गलियों के हाथों की कठपुतली हो गया है माँ तेरा बेटा,
की तेरी तलाश में ‘यहाँ से वहाँ-वहाँ से यहाँ’ नचाती हैं मुझे!!
माँ आहटें भी लुक्का-छिपी सा खेल खेलती है.. इन दिनों,
हर नयी आहट थप्पा सी है और तू छुप कर सताती है मुझे!!
बे-शक मुक़द्दर में नही था मेरे…तेरे हाथों का बना खाना,
लेकिन दीदी के रूप में यक़ीनन तू खाना खिलाती है मुझे!!
किसी बच्चे को अपनी माँ की ऊँगली थामे जो देखता हूँ,
फिर तेरी याद…तेरे न होने का एहसास क्यूँ कराती है मुझे!!
माँ तो माँ होती है – Maa Kavita in Hindi
माँ तो माँ होती है
वो माँ ही है जिसके रहते
ज़िंदगी में कोई गम नहीं होता
दुनिया साथ दे या न दे पर
माँ का प्यार कभी कम नहीं होता।
ये कैसे दिन आ गए हैं यारों
जब हमे बोलना नहीं आता था
तो माँ समझ जाती थी
आज हम हर बात पे कहते है
माँ तुम नहीं समझेगी
Maa Kavita in Hindi- अपनी साड़ी खुशियां हम पर लुटा देती हो
अपनी साड़ी खुशियां हम पर लुटा देती हो
माँ तूम इतना सबकुछ कैसे कर लेती हो
जब जब भी ये तक़दीर दगा देती है
माँ की मुस्कराहट उम्मीद जगा देती है
मेरे हौशले हो उड़ान तुम देती हो
माँ तुम इतना सब कैसे कर लेती हो
दूर जब भी तुमसे होती है माँ
सच कहु तो अकेले में रोती है माँ
मेरी हर खुवाईश तुम पूरी कर देती हो
माँ तुम इतना सब कैसे कर लेती हो
सच की राह पे चलना सिखाया है हमको
जीने का मतलब बताया है हमको
जीने की अनमोल बाते सीखा देती हो
माँ तुम इतना सब कैसे कर लेती हो
मेरे दुखी होने से तकलीफ मुझसे ज्यादा होती है
मेरे ख़ुशी होने से ख़ुशी मुझसे ज्यादा होती है
मुझे ज़रा सी चोट लगने से आँशु बहा देती हो
माँ तुम इतना सब कैसे कर लेती हों आप।
बचपन की बीती बातों को -Maa Kavita in Hindi
बचपन की बीती बातों को
मैं भूल कभी न पाती हु ,
प्यार तो बहुत आपसे करता हु माँ
पर इजहार नहीं पाती हु
रूठ जाए खुदा भी पर
आपने न रूठना कभी
टूट जाऊं अगर मैं कभी
पर आपने टूटना kabhi
आपको देखकर ही तो
कुछ करने का हिम्मत कर पाती हु
प्यार तो बहुत आपसे करता हु माँ
पर इजहार नहीं पाती हु
Maa Kavita in Hindi -प्यारी जग से न्यारी माँ
प्यारी जग से न्यारी माँ
खुशियां देती साड़ी माँ
चलना हमे सिखाती maa
मंजिल हमे दिखती माँ
सबसे मीठा बोल है माँ
दुनिया में अनमोल है maa
खाना हमे खिलाती माँ
लोरी गा के सुनाती माँ
प्यारी जग से न्यारी maa
खुशियां देती साड़ी माँ
Maa Kavita in Hindi- माँ संवेदना है भावना है अहसास है
माँ संवेदना है भावना है अहसास है ,
माँ जीवन में फूलो की खुशबू का बॉस है
maa जीवन में रोते हुए बच्चो का खुशनुमा पलना है
माँ मरुअस्थल में नदी या मीठा सा झड़ना है
माँ गीत है लोरी है प्यारी सी थाप है
maa पूजा की थाली है मंत्रो का जाप है
माँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है
माँ गालो पप्पी है ममता की धारा है
maa झुलसते दिनों में कोयल की बोली है।
माँ कुमकुम है सिन्दूर है लोली है
माँ कलम है दवात है स्याही है
maa परमात्मा की स्वंय एक गवाही है
माँ त्याग है तपस्या है सेवा है
माँ फूक से ठंढा किया हुआ कलेवा है ,
maa अनुष्ठान है साधना है जीवन का हवन है
माँ ज़िंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है
maa चूड़ी वालो हाथो के मजबूत कंधो का नाम है ,
माँ कासी है कावा है और चारो धाम है ,
maa चिंता है याद है हिचकी है ,
माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है ,
माँ चूल्हा धुँआ और हाथो का छाला है
maa ज़िंदगी की करवाहट में अमृत का प्याला है ,
माँ पृथ्वी है जगत है दुरी है
माँ बिना शिष्य की कल्पना अधूरी है ,
maa की ये कथा अनादि है अध्याय नहीं है ,
माँ के जीवन में कोई प्रयाय नहीं है ,
माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता
maa के के जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता।
कवि -ओम व्यास जी…..
महफूज थी तेरी कोख में – Maa Kavita in Hindi
महफूज थी तेरी कोख में
माँ जब पता न था की बेटी हु ,
जब आँख खुली इस दुनिया में
तो कचरे के ढेर पे लेटी हु।
पूरी नौ महीने तेरी कोख में माँ
मैंने बाहर आने का इन्तजार किया
ये फेकना ही था तुझको तो तूने
कोख में ही न क्यों मार दिया।
माना तूने मुझे जन्म दिया
माँ तू भी तो एक बेटी है
फिर मैं क्यों इस कचरे में
और तू मखमल पे लेटी है।
क्या पता यंहा मर जाउंगी
या कोई मुझे उठाएगा
भेजेगा कोई स्कूल में पढ़ने या
धंधे पे कोई बिठायेगा
इंच इंच आबरू मेरी बाजार में नोची जायेगी
हवस मिटाएगा वो अपनी
जिसकी बोली ऊँची जायेगी।
महफूज थी तेरी कोख में
माँ जब पता न था की बेटी हु ,
जब आँख खुली इस दुनिया में
तो कचरे के ढेर पे लेटी हु।
Maa Kavita in Hindi- (जो खुदा है उसे खुदा कहता हु)
जो खुदा है उसे खुदा कहता हु
वो मेरे घर में रहता है मैं माँ कहता हु
जो कपडा मुझे छाव देता है धुप से
उसी आँचल को मैं आसमान कहता हु।
न पूजा करती हु न नवाज़ पढ़ती हु
न किसी सजदे में सर को झुकाया है।
और न ज्ञान है मुझे कुराण का
न गीता को माथे से लगाया है।
बस पूजती हु उस देवी को जिने
मुझे धरती पे लाया है।
माँ शब्द है माँ है अर्थ माँ के बिना जीवन व्यर्थ- (Maa Kavita in Hindi)
माँ शब्द है माँ है अर्थ माँ के बिना जीवन व्यर्थ
maa आत्मा माँ परमात्मा माँ में बसे पुरे जीवात्मा
माँ जननी माँ जगदम्बा माँ के बिना ये जीवन अचम्भा
माँ परोपकार का ऐसा बृक्ष है जीवन जोत अमृत बृक्ष है।
क्या लिखू तेरे बारे में कोई शब्द नहीं तेरे दायरे में
इस नन्हे से पाँव को तूने सीने से लगाया था
माँ इस मतलबी जहां में तूने जीने की राह बताया था।
वेद कुमार बनर्जी….
जब बैठी हो घर पे माँ तो क्यों पाषाण पूजना
वेवजह यंहा वहां किस वजह से घूमना
मुराद सभी होगी पूरी बस सेवा करो माँ की
पैरो को चूमना तू खुदा है तो दरखास मेरा सुन्ना
की सीखे हर शख्स उस माँ की कदर करना
कुछ और भी चाहे करना एक न करना
माँ का प्यार सबको मिले बस इतना तू करना।
पूरी की पूरी दुनिया ही बसी हो
जिसकी कोख से हमे जन्म मिला
जिसने चलना सिखाया दौरना
भागना सिखाया पढ़ना लिखना सिखाया
जीने के तौर तरीके सीखाया मतलब की
ज़िंदगी जीना सीखाया मतलब
आज भी अगर कभी घर से बाहर आता हु
तो सबसे पहले मुँह से बस यही निकलता है
माँ मैं आ गया दुनिया के किसी 5 स्टार रेस्टुरेंट में
खाना खा लू एक माँ के हाथ का जो स्वाद है
वो कहि नहीं दिल में बहुत इज्जत है
फिर भी हम दुनिया जहाँ के गुस्सा उनपर निकालते हैं
चीख देते हैं डांट देते हैं बेटा वो एक ऐसी इंसान है
जो खुद भूखा रह लेगी लेकिन तुम्हे
खाना खिलाये बगैर नहीं सोयेगी।
वक़्त रहते उन्हें जितना प्यार और सम्मान
देना है दे दो इंसान एक बार चला जाय
खुदा के पास तो सिर्फ यादे लौट कर आती है
वो इंसान नहीं माँ दूसरी नहीं मिलती एक ही होती है
अनुभव अग्रवाल…
Maa Kavita in Hindi— वो माँ है परेशान कितनी भी क्यों न हो
वो माँ है परेशान कितनी भी क्यों न हो
लेकिन वो हर बार सब संभाल लेती है
जो सर पर एक बार हाथ फिर दे न
तो ज़िंदगी आसान सी लगने लगती है
वो माँ है जिसे गिनती नहीं आती सायद
जो एक रोटी मांगो तो हमेसा दो देकर जाती है ,
अगर कभी खाना न खाओ तो फिक्र में
खुद भी भूखा ही सो जाती ही
हां वो माँ है मुझे कोई फिक्र न हो इसीलिए
अपने आँशु छिपाकर मुस्कुरा लेती है
गुस्से में कुछ कह दे तो चुपचाप सुन लेती है
लेकिन मेरी हजारो गलतियों को
बिना कुछ कहे माफ़ कर देती है
वो माँ है उसे नहीं आता है
इंग्लिश बोलना फैसन में रहना
ये खुद को बदलने की कोशिश भी कर लेती है
हां वो माँ है वो बस मेरी ख़ु
जो हर वक्त आस पास रहे वो अक्सर नजर नहीं आता – Maa Kavita in Hindi
जो हर वक्त आस पास रहे वो अक्सर नजर नहीं आता।
माँ के साथ अकसर यही होता है
न जाने वो कब घर के किसी कोने में खो जाती है
वो इतना दिखती है की दिखना बंद हो जाती है
तूने आखड़ी बार उसे आँख भर के कब देखा था
कब उसकी साड़ी या सूट की तारीफ़ की थी
कब उसकी चूड़ियों का रंग नोटिश किया
kab उसकी नेल पॉलिश पर अपनी राय दी
आखड़ी बार कब कहा था माँ जच रही हो
बहुत प्यारी लग रही हो तुम क्या सोचते हो
उसे तुम्हारा कमरा सजाना तुम्हारा
स्वेटर बुनना अच्छा लगता है
माँ भी कभी लड़की थी दोस्त और
दुनिया की हर लड़की की तरह उसे भी
तारीफ़ सुन्ना बहुत अच्छा लगता है
मनोज मुन्तसिर। ….
ज़माना कहता है मुझे की मंदिर मसिजद जाया कर
वहाँ जाकर खुदा से जन्नत की भीख माँगा कर
मैंने कहा उस ज़माने से ज़न्नत की भूख नहीं है मुझे।
क्योकि मैं कर लेता हु जन्नत का आभास ,अपनी माँ के गोद में शो के।
न जाने कोन सी जादू माँ चलाती है
सर पे हाथ रख वो अपना मेरी चिंता भगाती है।
वो मेरी साड़ी परेशानी को उस पल भूल जाती है
जिस लम्हे ने मुझे हस्ते हुए खुशनुमा पाती है।
Maa Kavita in Hindi – माँ की ममता माँ का प्यार
माँ की ममता माँ का प्यार
झूठा है सारा संसार ..
गोद उठाती लोरी गाती
पहले खाना हमे खिलाती
करती पल पल हमे दुलार
माँ की ममता माँ का प्यार
माँ की आँखों के तारे हम
घर के राज़ दुलारे हम
मीठे स्वर में रही पुकार
माँ की ममता माँ का प्यार
दूर नहीं है रहने देती
आँशु नहीं है बहने देती
करे खिलौनों की भरपार्
माँ की ममता माँ का प्यार
कोन है जग में माँ के जैसा
सोना सोना चांदी रुपया पैसा।
मैं अपनी हर खुसी माँ से साझा करता हु – Maa Kavita in Hindi
मैं अपनी हर खुसी माँ से साझा करता हु ,
अपने दर्द तक़लीफो में माँ को याद करता हु
ऐसा नहीं है की ए खुदा मैं तुझे मानता नहीं
पर मैं अपने माँ से ऊपर किसी दर्जे को जानता नहीं।
मैं सबसे ऊपर अपने माँ का दर्जा रखता हु
और इस बात पे मैं गुमान करता हु।
मेरे इस बात से न तू कोढ़न रखना
ज़डा मेरे माँ के जतनो को भी मन्नान रखना।
Maa Kavita in Hindi – अपनी बनाई हर चीज़ पर तुम अपना हक़ रखना
अपनी बनाई हर चीज़ पर तुम अपना हक़ रखना ,
तू चाहे तो मेरी सांसो पे भी अपना पकड़ रखना ,
मैं रहु या न रहु इस जहां में
पर तू मेरी माँ को सलामत रखना।
मैं तुम्हारे तौर तरीके से नबाक़िफ़ हु
फिर भी न जाने क्यों मेरी साड़ी दुआए कबूल होती है ,
तू ये न सोचना की ये तेरा रहमो करम है
ज़डा मेरी माँ की इबादतों की भी खबर रखना।
रोहित नरेंद्र। ….
निष्कर्ष
दोस्तों हमें उम्मीद है आपको Maa Kavita in Hindi का कलेक्शन अच्छा लगा होगा. आपको कौन सी कविता सबसे ज्यादा पसंद आई हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा